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रहस्यमाई चश्मा भाग - 51


 


वह भी नत्थू को चुनौती देते हुए की नत्थू जितनी कोशिश कर ले जो चाहे कर ले शुभा रहेगी तो गांव में ही उनके संरक्षण में । डॉ रणदीप झा ने ज्यो ही आभार देने के बाद बैठे पुजारी तीरथ राज दौड़े दौड़े मंगलम चौधरी के निकट आकर उनके कान में जाने क्या कहा मंगलम चौधरी का प्रसन्न चेहरा क्रोध से तमतमाया हुआ मंगलम चौधरी उठे और अपनी हवेली में पहुंचे और अपने लठैत एव सुरक्षा दल को बुलाया और आवश्यक निर्देश देने के बाद बाहर आये नत्थू एव उसके आदमियों ने समझा कि उत्सव सम्बंधित किसी विशेष बात को ही पुजारी ने चौधरी के कान में कहा होगा,,,,

फिर भी सतर्कता से चौधरी कि हवेली में चल रहे विशेष उत्सव पर बारीकी से नजर बनाए हुए थे पूरी रात अनेको कार्यक्रम चलते रहे भीड़ आती भोजन करती नृत्य या मन नाटक आदि देखती चौधरीं साहब कि दरिया दिली कि तारीफ करती चली जाती मंगलम चौधरी का उद्देश्य था सुयश के उच्चशिक्षा के वापस आने कि खुशी में आयोजित उत्सव के बहाने सुयश को मंगलम चौधरी के दरभंगा स्थीति गतिविधियों से अवगत कराते हुए उसकी जिम्मेदारियों से परिचित करा दिया जाय जिसकी प्रथम कड़ी थी डॉ रणदीप झा के अस्पताल के जीर्णोद्धार का क्रियान्वयन मंगलम चौधरी का निद्रेश पाकर उनके विश्वस्त आदमी उत्सव में संदेहास्पद व्यक्तियों वस्तुओं एव गतिविधियों पर निगरानी करने लगे,,,,

पुलिस को भी मंगलम चौधरी ने इत्तला दे दी पुलिस भी पूरी मुश्तैदी से उत्सव पर निगरानी करने लगे नत्थू एव उसके आदमीयों कि कुछ भी समझ मे आता तब तक वे सभी पुलिस एव मंगलम चौधरी कि व्यक्तिगत सुरक्षा व्यवस्था के जाल में फंसते जा रहे थे।

मंगलम चौधरी ने श्यामाचरण झा को शुभा कन्या महाविद्यालय के निर्माण कार्य से जुड़े सभी व्यक्तियों पक्षो को बुलवाया और बहुत स्प्ष्ट शब्दो मे कहा मान्यवर शुभा कन्या माध्यमिक विद्यालय के निर्माण कि देख रेख मेरे पक्ष से सुयश करेंगे जो भी धनराशि आदि देनी होगी इन्ही के द्वारा दी जाएगी श्यामाचरण झा जी बोले चौधरी साहब एक बात कि जिज्ञाषा सभी लोंगो को है आप अनुमति दे तो सबके मन मे उठे प्रश्न मैं आपके समक्ष रखूं मंगलम चौधरी बोले निःसंदेह बोलिये श्यामाचरण झा जी बोले आदरणीय सबके मन मे यही जिज्ञाशा है कि आप ना तो शुभा को जानते है ना ही कभी मिले है तो उसके नाम से कन्या माध्यमिक विद्यालय खोलने का तात्पर्य किसी के समझ से परे है रही बात सुयश की तो ठीक है कि मात्र आपके चश्मे के लिए अपना दाहिना हाथ ही गंवा दिया और अपाहिज की श्रेणी में आ गया लेलिन आपने भी तो उसकी चिकित्सा उच्च शिक्षा का पूरा व्यय उठाया और अब उसे अपने महत्वपूर्ण दायित्वों को भी सौंप रहे है,,,,

 कन्या विद्यालय का खुलना एव गांव के मंदिर का पुनर्निर्माण तो गांव के विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान तो सिर्फ सुयश के कारण ही सम्भव हुआ क्योकि सुयश ही हमारे गांव के शुभा का बेटा है लेकिन आपसे कोई भावनात्मक रिश्ता हो ऐसा नही प्रतीत होता तो क्या सुयश के हाथ गंवाने कि कीमत एहसान के रूप में गांव वालों को तो नही दे रहे है ?मंगलम चौधरी ने बड़े धैर्य से श्यामाचरण जी की बातों को सुना और एक ही शब्द में जबाब भी दे दिया बोले श्यामाचरण जी आप विद्वान है आप जैसे व्यक्तियों को समाज एव समय को बहुत अपेक्षाएं रहती है आपने समाज कि शंकाओं का प्रश्न तो समाज कि तरफ़ से पूछ लिया मेरा विनम्र निवेदन है की आप लोग अब समय कि प्रतीक्षा करें जो आप लोंगों के प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम है।



श्यामा चरण जी बोले चौधरी साहब हम लोंगो के मन मे आपके लिए इतना अधिक सम्मान है कि हम नही चाहते कि कोई भी आपके विषय मे किसी भी प्रकार कि शंका संदेह में रहे इसीलिये आपसे ऐसा प्रश्न करने का दुस्साहस किया यदि आपको हमारे प्रश्न पूछने से किसी भी प्रकार की पीड़ा हुई हो तो क्षमा करने कि कृपा करें मंगलम चौधरी बोले श्यामाचरण जी आपके गांव के ही कारण जिसकी पावन मिट्टी ने सुयश को पाला जन्म दिया को पाकर मैं इनता उस पावन माटी का कृतज्ञ हूँ कि मुझसे जो भी संभव हो सकेगा सदैव करूंगा मैं क्या अब तो धीरे धीरे सारी जिम्मेदारियों के बोझ को सुयश को ही सौंपता जा रहा हूँ,,,,,

ताकि जीवन के अंतिम पलो में सुकून एव चैन से अंतिम सांस ले संकु इतना सुनते ही श्यामाचरण जी बोले चौधरी साहब आप हज़ारों साल जिये हमारी तो यही कामना है आप ऐसी बाते ऐसे शुभ अवसर पर मत करे ईश्वर आपको लंबी उम्र प्रदान करे मंगलम चौधरी डॉ रणदीप कि ओर मुखतिब होते हुए बोले डॉ साहब जितनी शीघ्र हो सके अपने अस्पताल को सभी सुविधाओं से परिपूर्ण करे डॉ रणदीप ने चौधरी साहब का आभार व्यक्त किया चौधरी साहब ने सुयश को बुलाया और डॉ रणदीप झा श्यामाचरण झा एव शुभा कन्या माध्यमिक विद्यालय एव मंदिर निर्माण समिति के सभी सदस्यों के समक्ष बोले अब सारे जिम्मेदारियों को सुयश ही निर्वहन करेगा समय समय पर मैं इसे उचित दिशा निर्देश देता रहूंगा सदानंद झा जो चौधरी साहब के दिल्ली आफिस के सर्वे सर्वा थे,,,,,,

 उन्हें यह बात तो समझ मे आ गयी कि चौधरी साहब कि सल्तनत का मुख्य कर्णधार सुयश ही है सिंद्धान्त नही चौधरी साहब ने फिर कहा कि सिंद्धान्त आवश्यक कार्यो के निस्तारण हेतु उलझा है जिसके कारण वह ना तो सुयश के आने कि खुशी के उत्सव में सम्मिलित हो सका कोई बात नही मैं उसे एव सुयश को सारे कारोबार की जिम्मेदारी को समझा कर सौंप दूंगा ।सभी ने कम से कम इतना तो अवश्य महसूस किया कि अंतर्मन से दुखी रहने वाले चौधरी साहब के मन मे समय कि मार के घावों के छाले अवश्य फूटे है जिससे उनके अंतर्मुखी व्यक्तित्व को मुखर एव प्रसन्न होने का अवसर मिला है चैधरी साहब श्यामाचरण जी कि तरफ़ मुखातिब होते हुए बोले श्यामाचरण जी गांव में थाना खुलने वाला है,,,,,,

जिसका उद्घाटन शीघ्र ही कोई उच्च पदासीन व्यक्ति करेगा अतः आपके गांव को सरकार थाने का तौफा दे रही है आप सभी को ढेर सारी बधाई एव शुभकनाये ।सभी विशेष आम उत्सव के आगंतुक अपने अपने घरों को लौटने लगे थे ।चौधरी साहब के खुफिया व्यवस्थाओं एव पुलिस कि चाक चौबंद व्यवस्था के कारण नत्थू एव उसके आदमियों के लिए बहुत मुश्किलें मुसीबतें खड़ी कर रहा था परेशान बेहाल इधर उधर छुपना भी कठिन हो रहा था अतः नत्थु अपने आदमियों के साथ वहां से निकलना ही उचित समझा उसके सामने समस्या यह थी कि वह जाए तो जाए कहां गांव में भी चौधरी साहब ने मंदिर निर्माण एव विद्यालय निर्माण में गतिरोध उत्तन्न होने के कारण सरकार के सहयोग से गांव में स्थायी थाना खुलने तक पुलिस कि निरंतर चौकसी एव सुरक्षा कि माकूल व्यवस्था कि थी,,,,,




जारी है










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